जी हाँ, हम सबका महीना 30 या 31 दिनों का होता है पर
भारत की टेलीकाॅम कम्पनियों ने अपने महीने के अलग ही दिन सेट कर रखें हैं। उनके हिसाब से मात्र 28 दिनों का मन्थली रीचार्ज होता है।
महीने में 49/- का रीचार्ज जो कि प्री-पेड कस्टमर को हर महीने अनिवार्य कर दिया गया है। पहले आप जो रीचार्ज करते तो तब तक वैलिड रहता था जब तक आप उसको यूज़ करके खत्म नहीं कर देते।
कांग्रेस की सरकार के समय धन्नासेठ मोबाइल ऑपरेटर, वोडाफोन, एयरटेल, रिलायंस आदि के हर महीने रीचार्ज के एस एम एस नहीं आते थे। कुछ लगाम रहती थी!
सरकारों के इशारे पर बेलगाम हुऐ धन्नासेठ मोबाइल ऑपरेटर, मोबाइल प्लेटफॉर्म इन्टरनेट स्पीड कम - ज्यादा या बन्द करके उपभोक्ताओं को परेशान कर रहे हैं, वहीं नियम तथा शर्त को धता बता कर उपभोक्ताओं पर पहले 35 रुपये फिर 49 रुपये हर 28 दिन पर रीचार्ज करने को बाध्य किया जा रहा है। सरकार नतमस्तक है, और इस डकैती में मौन होकर कोई एक्शन नहीं ले रही बस चन्दा लेकर इस लूट में शामिल है, क्या सरकार धन्नासेठों,मोबाइल ऑपरेटरों/मोबाइल प्लेटफॉर्म को अपने पहले के नियम तथा शर्त पर चलने को सख्ती से नहीं कह सकतीं हैं?
चोर चोर मौसेरे भाई!
हर माह 35, 49 रुपये का रीचार्ज क्यों?? जबकि हजारों रुपये की सिक्योरिटी जमा हैं, करोड़ों लोगों की अरबों रुपये जमा हैं।
समझिये 28 दिनों के महीने का गणित:
अगर हम महीना 30 दिनों का मानें तो 49÷30=1.63 यानि 1रूपया 63 पैसे प्रति दिन।
और अगर महीना 28 का कर दिया जाये तो कम्पनी को 2 दिन यानि 3 रूपये और 26 पैसे बच जातें हैं। वह भी प्रति रीचार्ज (49/- के रीचार्ज पर)
वोडाफोन व आइडिया के भारत में 375000000 यानि 375 मिलियन यूज़र हैं।
एयरटेल के भारत में 327000000 यानि 327 मिलियन यूज़र हैं
और
रिलायंस जीओ के 348000000 यानि 348 मिलियन यूज़र हैं।
सब मिलाकर 1050000000 यानि 1050 मिलियन यूज़र हुये।
अगर आप मान लें कि इसमें से कम से कम 70% लोग प्रीपेड प्लान यूज़ करते होंगे। तो यह आंकड़ा आता है 735 मिलियन या 735000000
फिर आप इसमें 3 रूपये 26 पैसे से गुणा कर दो! 735000000×3.26= तो प्रति माह 2,396,100,000/- रूपये बनतें हैं या 2396.1 मिलियन प्रति माह यें कम्पनियां उपभोक्ताओं से ले लेंती हैं।