अवचेतन मन आपके आदेशों का पालन करता है!
- अनिल कुमार सागर,लेखक स्वतंत्र- पत्रकार
- Jan 16, 2019
- 2 min read
Updated: May 16, 2020
मन दो प्रकार का होता है। पहला चेतन व दूसरा अवचेतन। चेतन मन के द्वारा मनुष्य जाग्रत अवस्था में सोचता है और बाहरी दुनिया का अनुभव करता है। अवचेतन मन इन्हीं सब बातों को ग्रहण कर सुरक्षित रख लेता है। एक प्रकार से अवचेतन मन को आत्म तत्व के साथ जोड़कर देखा जाता है।

विचार नियम के अनुसार- हर चीज की दो बार रचना होती है। यदि आप अपने जीवन में कुछ विशेष चीज चाहते हैं और आपने मन में इसकी साकार कल्पना इमेजिंग नहीं की है तो वह चीज आपको नहीं मिल सकती। सकारात्मक विचारों के साथ जिस वस्तु को आप प्राप्त करने के लिऐ उस वस्तु की इमेजिंग करते हुऐ उसे बार-बार दोहराने से यह कल्पना सहज ही दिखाई देने लगती है।
यदि आपको कोई चीज चाहिए तो इसके लिए क्या करना होगा? सबसे पहले तो अपने मन में जिस वस्तु को आप पाना चहाते हो पूर्ण विश्वास के साथ उसकी इमेज का सृजन करना होगा, तभी वह आपके वास्तविक जीवन में प्रकट होती है। इसके लिऐ जितने आपके विचार स्पष्ट और विश्वास पूर्ण होगे वह वस्तु उतनी ही जल्दी आपको प्राप्त होगी विचारों का यह नियम आज तक कभी असफल नहीं हुआ ।
विचारों के इस नियम के साथ यदि अवचेतन मन की शक्ति को जोड़ दिया जाए तो यह नियम आपके जीवन में हर पल हर घड़ी नये नये चमत्कार करते रहते है। उदारण के लिऐ आज रात को ही अपने अवचेतन मन की शक्ति का परीक्षण करे । आज रात को आप यह सोचकर सोएं कि सुबह मुझे छह बजे उठना है तो अवचेतन मन की अलार्म घड़ी आपको 6 बजे ही जगा देगी है।
आपकी आंख छह बजे के करीब खुल जाती है। कई बार तो ठीक छह बजे ही आप जाग जाते हैं। आपने कभी सोचा कि ऐसा क्यों होता है? कभी नहीं ना। यह आपके अवचेतन मन का काम है। आप उसे जो आदेश देते हैं, वह उसे पूरा कर देता है, हालांकि आपको खुद यह पता नहीं रहता कि आपने उसे आदेश दे दिया है।
इसी विषय में डॉ. जोसेफ़ मर्फी की बहुत ही प्रसिद्ध पुस्तक है जिसका शीर्षक "आपके अवचेतन मन की शक्ति" है। अगर आप इस विषय को गहराई से समझना चाहते हैं तो यह पुस्तक बहुत ही सार्थक सिद्ध होगी। नीचे दी दिखाये गए चित्र में इसी किताब का विवरण है और अगर आप इस पर क्लिक करेंगे तो आप इसे अमेज़ॉन से ख़रीद भी पायेंगे क्योंकि हमने इसमें अमेज़ॉन का डायरेक्ट लिंक दे रखा है।
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||卐|| जय श्री कृष्णा ||卐||🙏
प्रस्तुतकर्ता:
अनिल कुमार सागर,
वरिष्ठ लेखक - स्वतंत्र पत्रकार,पूर्व उप सम्पादक: उजाले की ओर,"कीमया-ऐ-जीवन", राष्ट्रीय समाचार पत्र,
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