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"सोशल मीडिया का बाप"

अनिल कुमार सागर, लेखक व पत्रकार

वरिष्ठ लेखक- स्वतंत्र पत्रकार, पूर्व उप सम्पादक: उजाले की ओर,"कीमया-ऐ-जीवन", राष्ट्रीय समाचार पत्र,  03, आनन्द कॉलोनी,चन्दौसी- 244412, उ.प्र.

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कोरोना वायरस और हमारा रवैया

कोरोना वायरस भारत में सिर्फ ये बताने आया है कि.....मंदिर-मस्ज़िद आपको नही बचा पाएंगे! अस्पताल बनवाओ!!


अभी BBC NEWS पर विश्लेषण देख रहा था, इसमें ये बताया गया कि चीन में हज़ारों शवो को, बिना उनके परिवारों से पूछे बिना कहाँ दफनाया गया, ये केवल सरकार जानती हैं, इटली में किसी भी शव को कोई कंधा देने नहीं आ रहा, वे इंसान जब जिंदा थे तो अकेले हो गये थे, और मरे तो लावारिस।चलो कोरोना ने इंसान का असली रूप दिखा दिया।

इसी बीच यूनियन के महासचिव बलबीर चौधरी का प्रेरक लेख पढने को मिला, जो की भारतीयों के सोशल मीडिया के द्वारा किये जा रहे उपयोग को हास्यास्पद बताया।


उन्होंने लिखा कि जिंदा रहना है तो सीरियस हो जाओ वरना आने वाले दो सप्ताह की कल्पना मुश्किल होगी

देश-दुनियां में कोई मुसीबत आये वो भारत के लोगों के लिए मजाक, हंसी ठिठोली का साधन बन जाती है। पूरी दुनियां में कोहराम मचाए कोविड 19 का जितना मजाक भारत में बन रहा उसका आधा मजाक भी पूरी दुनियां के लोग मिलकर नहीं बना पा रहे हैं क्योंकि चीन, जापान, फ्रांस, इटली, ईरान समेत तमाम देशों ने अपनी आंखों के सामने अपनों की लाशें देखी हैं। उनको इसके ख्रतरे का ना सिर्त अंदाजा हुआ बल्कि उसे भुगता भी है। भारत में अभी सिर्फ तीन लाशें ही सामने आई हैं क्योंकि अभी हम वायरस फैलने के सैकंड स्टेज पर चल रहे हैं। कल्पना करना मुश्किल होगा जिस दिन ये तीसरी स्टेज पर पहुंची। जिन देशोें में ये तीसरे चरण में पहुंचा उससे 100 गुना बुरी हालत भारत की होगी क्योंकि यहां के लोगों को इस वायरस के प्रकोप से बचने के बजाय उसकी मजाक बनाने में वक्त बीतता है। मेरे एक मित्र ने कल मुझसे हाथ मिलाने की कोशिश की। मैने हाथ जोड़ दिए तो उन्होंने मेरा मजाक बनाने के लिए दूसरे व्यक्ति के गले मिल लिए। बोले, देखें मुझे कैसे होत है कैराेना। उनके इस अंदाज ने मुझे भारत में कैरोना के वायरस के तीसरे स्टेज की कल्पना का भयावह दृश्य सामने ला दिया। वजह ये है कि विदेश में सरकार किसी पार्टी की हो लेकिन वो अपनी सरकार के प्रत्येक आदेश को गंभीरत से पालन करते हैं और जो पालन नहीं करते उनके साथ वहां की सेना पालन करवना जानती है। हम जाति, धर्म, राज्य, राजनीति पार्टी और सेखी बघारने के लिए नियमों को तोड़ने में आनंदित होते हैं। मैं जानता हूं कि भारत सरकार, सभी राज्यों की सरकारें, स्वास्थ्य महकमा इस अंदेशे को भांप चुकी हैं। स्कूल, कॉलेज, ट्रेन, मॉल्, मंदिर सब धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं लेकिन कुछ राक्षसी मानसिकता के लोग जो इसे गंभीरता से नहीं समझना चाहते वे खुद भी मरेंगे और दूसरों को खतरे में डालेंगे। मेरा विनम्र आग्रह है कि सरकार जो भी कह रही उसका पालन करें। हाथ साफ करें बार बार, किसी से हाथ ना मिलाएं।एक मीटर की दूरी से बात करें, साथ में खाना ना खाएं, कुछ अंदेशा हो तो चिकित्सक को दिखाएं। वरना जिस दिन मजाक बनाने वालों की मां, बाप, पत्नी, बेटा, बेटी या कोई और इसकी चपेट में आया उस दिन सारी मजाक धरी रह जाएगी और फिर चुनाव के वक्त् सरकार को कोसोगे कि सरकार ने हमारे परिजन की जान नहीं बचाई। या पर्याप्त उपचार नहीं मिला। सरकार अभी इजाज के मामले में कई देशों से आगे हैं लेकिन जिस तरह वहां की जनता से वहां की सरकारों का साथ दिया उस तरह हम भी अपनी केन्द्र और अपनी-अपनी राज्य सरकार के आदेशों का पालन करें। गंभीर हो जाएं। वरना आने वाले दो सप्ताह बाद वो नजारा देखने को मिलेगा जिसकी कल्पना नहीं कर पाओगे। पता नहीं कल्पना करने लायक बचोगे भी या नहीं पर अगर साथ दिया। सही तरीके से चले। खुद पर और परिवार पर ध्यान दिया तो हमारे डाक्टरों के पास इसक पूरा इलाज है। 14 लोग ठीक करके घर भेज दिए हैं। जो भर्ती है उनमें से ज्यादातर की तबियत में सुधार हो रहा है। मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है कि प्लीज भविष्य को बचाने के लिए वर्तमान में थोडी सावधानी बरतें।


क्या होगा अगर कुछ दिन ये नहीं करोगे तो

1. क्या होगा अगर कुछ दिन दोस्तों के साथ बात नहीं कर पाओगे, फोन पर कर लो

2. क्या होगा अगर कुछ दिन बाजार नहीं जाओगे, नंगे तो नही हो इतने कपड़े तो घर पर होंगे

3. क्या होगा अगर अपनी मांगें मनवाने के लिए कुछ दिन धरना-प्रदर्शन विरोध नही करोगे जब सब ठीक हो जाए तब कर लेना

4. क्या हो जाएगा अगर कहीं घूमने नहीं जाओगे तो सब सामान्य हो जाए तब चले जाना

5. क्या होगा अगर दिन में 10 बार हाथ धो लोगे।


क्योंकि मौत ना जाति, ना धर्म, ना क्षेत्र, ना उम्र, ना राज्य, ना इलाका और ना लिंग और ना सूरत देखकर आती है।

इसलिए मेरी विनम्र अपील, अभी वक्त है। मान जाओ। अभी अपनी, अपने परिवार, मित्र पड़ोसियों के हित में सोचें।



यह एक युद्ध है। डॉक्टर्स, नर्सें व अन्य स्वास्थ्यकर्मी अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर आपके लिए इस वायरस के खिलाफ मोर्चे पर डटे हुए हैं। इनमें से बहुत से ऐसे भी हैं जो खुद बूढ़े हैं, किसी गंभीर बीमारी का शिकार हैं, या इम्युनिटी किसी कारणवश कमजोर हैं। हम भी इंसान ही होते हैं, हमें भी बीमारियां लगती हैं। लेकिन वे आपके लिए अग्रिम मोर्चे पर डटे हुए हैं।

सलाम है डाक्टर-नर्सिंग स्टॉफ को! आज पूरे देश की शान हमारे चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ बन चुका है। खुद की जान खतरे में डाकटर कई घंटे और कई दिनों तक अपने घर से दूर रहकर आमजनों की जान बचाने में जुटे हैं। उनको सेल्यूट है। हम सब उन चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ के परिवारों को सांवत्वना और भरोसा दें।

वे इस समय आपसे तालियों की नहीं बल्कि ये अपेक्षा कर रहे हैं कि आप इस बीमारी को रोकने में उनकी मदद करें। ध्यान रहे,किसी युद्ध में जब तक जनता का साथ न हो, कोई भी सेना नहीं जीत सकती। स्वास्थ्यकर्मियों की सेना को अपने देश की जनता के साथ की जरूरत है।


एक और बात

जैसा कि सब लोग CORONA से बचने के लिए MASK का उपयोग कर रहे हैं (बहुत अच्छी बात है ) परंतु आप सभी से अनुरोध है कृपया इन काम मे लिए गए MASKS को जलाकर या दफना के इसको Dispose करें अन्यथा इस से होने वाली त्रासदी इतनी भयंकर होने वाली है जिसका अंदाज नही लगा सकते क्योंकि यह काम में लिए हुए MASK यदि किसी पशु या जानवर ने गलती से खा लिया और यह बीमारी यदि पशुओ में या जानवरों में फैल गयी तो फिर किसी भी देश की सरकार या medical team इसकी भयानक महामारी को रोक नही सकेंगे

अतः कृपया अपने मास्क को उपयोग के बाद जला दें या मिट्टी में दबा के खत्म कर देवें


dispose the mask properly after the use.
प्रयोग करने के बाद मास्क को सही से डिस्पोज़ करें।

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