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"सोशल मीडिया का बाप"

अनिल कुमार सागर, लेखक व पत्रकार

वरिष्ठ लेखक- स्वतंत्र पत्रकार, पूर्व उप सम्पादक: उजाले की ओर,"कीमया-ऐ-जीवन", राष्ट्रीय समाचार पत्र,  03, आनन्द कॉलोनी,चन्दौसी- 244412, उ.प्र.

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सरकारी या प्राइवेट स्कूल ?

Updated: Jul 19, 2020

पाठकगण ध्यान दें।

प्राईवेट स्कूल में प्रवेश दिलाने से पहले नीचे लिखी बातों पर विचार करें ।


(1)स्कूल फीस लगभग 5000

(2)बस किराया 3000

(3)परीक्षा फीस 1000

(4)टाई बेल्ट व अन्य 1000

(5)किताबें 2000

(6)कॉपी बुक पेन 3000

(7)टिपिन 20 रू/दिन 6000

(8)अन्य 4000

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कुल ख़र्च 25000


एक बच्चे का एक वर्ष का ख़र्च 25000 रु.तो KG 1 से 12 तक तक का कुल 14 वर्ष 300000 (3 लाख रुपए)होता है।

यदि एक परिवार में 5 बच्चे हैं तो 15 लाख होता है फिर भी नौकरी की कोई गारंटी नहीं ।

इसलिए अपनो बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलावें।



सरकारी विद्यालयों की विशेषताएं:-

(1)किसी प्रकार का शुल्क नहीं ।

(2)गणवेश किताबे फ्री।

(3)छात्रवृत्ति मिलती है।

(4)कक्षा1 से 8 मध्याह्न भोजन मिलता है।

(5)योग्य शिक्षक।

(6)इसके अलावा कई अन्य सुविधायें निःशुल्क मिलती हैं ।


अनावश्यक खर्च से बचें।

इन बचें रुपयों की एफ. डी. कर दें या बैंक में रख दे ।बाद में 15 लाख रुपये में कोई अच्छा काम करें ।

मेरे विचारों से सहमत हों तो अधिक से अधिक पाठकगणों तक भेजें। अपने औरअपने मिलने वाले के बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलवायें।

पहले कम अंक और बुद्धि के लोगों को प्राइवेट स्कूल में एडमिशन लेना पड़ता था क्योंकि सरकारी स्कूल में टेस्ट के बाद स्थान मिलता था।सीटें कम होतीं थी तो लोग मजबूरन प्राइवेट स्कूल में जाते थे।

अब लोग उलटी गंगा बहा रहे हैं, जब सक्षम और प्रभावदार लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजेंगें तो सरकारी स्कूलों के टीचरों व विभाग को भी भय रहेगा और सही से पढ़ाई और व्यवस्था बनेगी।




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