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"सोशल मीडिया का बाप"

अनिल कुमार सागर, लेखक व पत्रकार

वरिष्ठ लेखक- स्वतंत्र पत्रकार, पूर्व उप सम्पादक: उजाले की ओर,"कीमया-ऐ-जीवन", राष्ट्रीय समाचार पत्र,  03, आनन्द कॉलोनी,चन्दौसी- 244412, उ.प्र.

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कुछ प्रेरणादायक पंक्तियाँ !

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ऊबड़ खाबड़ रस्ते भी, समतल हो सकते हैं, कोशिश की जाए तो मुद्दे हल हो सकते हैं।

शर्त यही है कोई प्यासा हार न माने तो, हर प्यासे की मुट्ठी मेँ बादल हो सकते है।

सागर महासागर सी जब हो सकती हैं आँखें, तो फिर दो आँसू भी गंगाजल हो सकते हैं।

जिनकी बुनियादों में खट्टापन है, मत भूलो, पकने पर सब के सब मीठे फल हो सकते हैं।

ये दुनिया इन्सानों की है थोड़ा तो रुकिए, पत्थर दिल वाले भी सब कोमल हो सकते हैं।

सपनों के सच होने की तारीख नहीं होती, आज न जो सच हो पाए वो कल हो सकते है।

जीवन के हर पल को यूँ ही जीते चलिए बस, इनमें ही कुछ महके महके पल हो सकते है।

नर सेवा ही नारायण सेवा है।

तुलसी पंक्षी के पिये, घटे न सरिता नीर।

दान किये धन ना घटे, जो सहाय रघुवीर।।

बाँटा हुआ सार्थक हो सकता है, किसी दूसरे के जीवन में उपयोगी हो सकता है।


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