top of page

"सोशल मीडिया का बाप"

अनिल कुमार सागर, लेखक व पत्रकार

वरिष्ठ लेखक- स्वतंत्र पत्रकार, पूर्व उप सम्पादक: उजाले की ओर,"कीमया-ऐ-जीवन", राष्ट्रीय समाचार पत्र,  03, आनन्द कॉलोनी,चन्दौसी- 244412, उ.प्र.

Screenshot 2019-01-02 at 23.35.41.png
Home: Welcome
Home: Blog2

"मैं हैरान हूँ ” महादेवी वर्मा की एक कविता

Updated: Jul 19, 2020

"मैं हैरान हूँ”– इतिहास में छिपाई गई - महादेवी वर्मा की एक कविता

”मैं हैरान हूं, यह सोचकर,

किसी औरत ने क्यों नहीं उठाई उंगली?

तुलसी दास पर,

जिसने कहा , “ढोल ,गंवार ,शूद्र, पशु, नारी,

ये सब ताड़न के अधिकारी।


”मैं हैरान हूं ,

किसी औरत ने क्यों नहीं जलाई

“मनुस्मृति” जिसने पहनाई उन्हें गुलामी की बेड़ियां?


मैं हैरान हूं ,

किसी औरत ने क्यों नहीं धिक्कारा?

उस “राम” को जिसने गर्भवती पत्नी सीता को,

परीक्षा के बाद भी निकाल दिया घर से बाहर धक्के मार कर।


किसी औरत ने लानत नहीं भेजी उन सब को,

जिन्होंने "औरत को समझ कर वस्तु” लगा दिया था दाव पर होता रहा “नपुंसक” योद्धाओं के बीच समूची औरत जाति का चीरहरण ? महाभारत में ?


मै हैरान हूं, यह सोचकर ,

किसी औरत ने क्यों नहीं किया?

संयोगिता अंबा -अंबालिका के दिन दहाड़े,

अपहरण का विरोध आज तक!


और मैं हैरान हूं , इतना कुछ होने के बाद भी क्यों अपना “श्रद्धेय” मानकर पूजती हैं मेरी मां – बहने उन्हें देवता – भगवान मानकर?


मैं हैरान हूं, उनकी चुप्पी देखकर

इसे उनकी सहनशीलता कहूं या अंध श्रद्धा,

या फिर मानसिक गुलामी की पराकाष्ठा ?”

महादेवी वर्मा जी की यह कविता, किसी भी पाठ्य पुस्तक में नहीं रखी गई है,

क्यों कि यह भारतीय (तथाकथित आदर्श मनुवादी) संस्कृति पर गहरी चोट करती है ?



 

अगर आपको महादेवी वर्मा यह कृति पसंद आयी और आप उनका लेखन को और अधिक समझना चाहते हैं तब आप उनकी कुछ पुस्तकें जरूर पढ़ें।

नीचे कुछ पुस्तकों के नाम और अमेज़ॉन डॉट इन पे सीधे पहुँचने के लिंक सहित चित्र दियें हैं।

आशा है कि यह सुझाव कुछ मददग़ार साबित होगा। धन्यवाद।




Home: Subscribe

CONTACT

Screenshot 2019-01-03 at 00.58.37.png
Home: Contact
bottom of page